दीपावली पर निबंध हिंदी में | दिवाली का निबंध | Essay On Diwali In Hindi

दिवाली भारत का सबसे बड़ा त्यौहार जिसका इंतजार हर हिंदू धर्म का पालन करने वाला अनुयाई साल की शुरुआत से करने लगता है क्योंकि यह त्यौहार हिंदुओं का सबसे बड़ा त्यौहार है जिसे भारत सहित श्रीलंका नेपाल और कई पश्चिमी देशों में भी बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है यह त्यौहार खुशियों का त्योहार है रोशनी का त्योहार है जो हर व्यक्ति के चेहरे पर खुशी की उमंग लेकर आता है इस त्यौहार को लगभग हर भारतीय बड़े उत्सव के रूप में मनाता है और दिवाली के त्यौहार की तैयारियां महीने भर पहले ही शुरू हो जाती है।


दिवाली का त्यौहार कितना लोकप्रिय है इसका अंदाजा आप इस बात से भी लगा सकते हैं कि दीपावली के त्योहार चले जाने के पश्चात तक कई व्यक्ति उसे भूल नहीं पाते हैं उन्हें लगता है दिवाली वापस कब आएगी इस प्रकार दिवाली क्यों मनाई जाती है दिवाली का क्या अर्थ है और दिवाली कब मनाई जाती है एवं दीपावली का इतिहास क्या है इसके बारे में जानने के लिए इस निबंध लेखन को पूरा जरूरत पढ़ें।


दीपावली पर निबंध हिंदी में 



deepawali par nibandh


प्रस्तावना:-


भारत के अंदर साल भर में कई सारे त्योहार मनाए जाते हैं और विभिन्न धर्मों के लोग अपने अपने त्यौहार को खुशी और उमंग के साथ मनाते हैं लेकिन दिवाली का त्यौहार सभी त्योहारों से काफी ज्यादा लोकप्रिय त्योहार है जो हर वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है यह त्यौहार पांच दिवसीय त्योहार होता है जो कई बार अक्टूबर या नवंबर के अंतर्गत आता है जो सभी लोगों के चेहरे पर खुशियों के साथ सुख और समृद्धि लेकर आता है।


दीपावली का त्यौहार असत्य पर सत्य की जीत और अंधकार पर प्रकाश की जीत के रूप में मनाया जाता है दिवाली का केवल धार्मिक ही नहीं बल्कि सामाजिक आध्यात्मिक ऐतिहासिक और आर्थिक महत्व भी है इस त्यौहार से सामाजिक एकता बढ़ती है साथ ही त्योहार के कारण हर कार्य करने वाले व्यक्ति को आर्थिक लाभ भी होता है जिससे वे भी अपने दिवाली खुशहाली से मना पाता है।


दिवाली के दिन हिंदू धर्म के अनुयाई अपने घर और दुकानों पर माता लक्ष्मी भगवान गणेश और बुद्धि की देवी माता सरस्वती की पूजा करते हैं और उनसे कामना करते हैं कि उनके घर परिवार और देश में सुख समृद्धि रहे साथ ही सभी एकजुट रहे जिससे पूरे देश का कल्याण हो।


दिवाली के त्योहार के प्रति लोगों की खुशी का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं की दिवाली को मनाने की तैयारी लोग महीने भर पहले से ही शुरु कर देते हैं वे अपने घरों की साफ-सफाई करते हैं नया रंग और सफेदी करके गौरव को चमक आते हैं इसके अलावा अपनी दुकानों कार्यालय और गोदामों की भी सफाई करते हैं जिससे माता लक्ष्मी उनके घर में प्रवेश करके सुख समृद्धि बनाए रखें।


दीपावली के दिन सुबह से ही लोग मिठाइयों की पटाखों की खरीदारी करना शुरू कर देते हैं और घर में नाना प्रकार के व्यंजन तैयार करते हैं साथ ही नए कपड़े खरीदते हैं और शाम के समय मुहूर्त के अनुसार सभी लोग अपने घर और दुकान पर भगवान गणेश लक्ष्मी देवी और माता सरस्वती की पूजा करते हैं, 


घर को दीपों से और रंग बिरंगी लाइट से सजाते हैं जिससे चारों तरफ अमावस्या का अंधकार रोशनी के पीछे छिप जाता है इसके पश्चात बच्चे और बड़े मिलकर पटाखे फोड़ते हैं एक दूसरे के घर जाकर दीपावली की शुभकामनाएं देते हैं एवं मोबाइल के माध्यम से भी दूर रहने वाले अपने दोस्तों रिश्तेदारों को दीपावली की मंगल कामनाएं देते हैं।


दीपावली का अर्थ


दीपावली संस्कृत के 2 शब्द दीप+ आवली से मिलकर बना होता है जिसमें दीप का अर्थ दीपक और आवली का अर्थ श्रंखला या पंक्ति होता है यानी दीपों की श्रंखला इसी कारण दीपावली को दीपोत्सव भी कहा जाता है दीपावली अमावस्या के दिन होती है और अमावस्या के कारण चारों तरफ अंधेरा होता है लेकिन दीपावली के दिन सभी लोग दीप जलाकर या रंग बिरंगी लाइट लगाकर इस अंधकार को उजाले में तब्दील कर देते हैं साथ ही पूरे संसार को जगमग कर देते हैं दीपावली का त्यौहार हिंदुओं का त्यौहार है लेकिन भारत में सभी समुदाय दीपावली के त्यौहार के दिन पटाखे जलाते हैं और मिलजुल कर इस त्योहार को मनाते हैं।


दीपावली क्यों मनाई जाती है?


दीपावली भारत का सबसे बड़ा त्यौहार है और पौराणिक ऐतिहासिक कथाओं के अनुसार दीपावली मनाए जाने के पीछे कहीं तर्क है लेकिन अधिकतर हिंदू धर्म के लोग दीपावली त्यौहार को इसलिए मनाते हैं क्योंकि इस दिन भगवान श्री राम 14 वर्ष का वनवास काटने एवं रावण का वध करने के पश्चात अपने जन्म भूमि अयोध्या आए थे और जब भगवान श्री राम अयोध्या लौटे तो उस दिन अमावस्या थी और रात काफी काली और चारों तरफ अंधेरा था जिस कारण अयोध्या वासी कुछ भी देख नहीं पा रहे थे इस कारण अयोध्या में रहने वाले नागरिकों ने वहां पर दीप जलाएं और चारों तरफ उजाला कर दिया घी के दीपक प्रज्वलित करने के पश्चात अयोध्या वासियों ने अयोध्या के हर रास्ते को फूलों से और रंगों से सजाया साथ ही भगवान श्री राम का पूरी खुशी और उमंग के साथ स्वागत किया।


उसी दिन के पश्चात हर वर्ष कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष अमावस्या को दीपावली का पावन त्यौहार मनाया जाता है जिसमें लोग एक दूसरे से मिलकर दीपावली की बधाई देते हैं उतारो और मिठाइयों को अपने रिश्तेदारों और पड़ोसियों के साथ खाते खिलाते हुए इस त्यौहार को खुशी के रूप में उत्साहित होकर मनाते हैं।


दीपावली के त्योहार को हिंदू धर्म के अलावा जैन धर्म और सिख धर्म के लोगों द्वारा भी पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है

दीपावली के दिन है जैन धर्म के 24 वे तीर्थंकर महावीर स्वामी को मोक्ष प्राप्त हुआ एवं इससे दिन उनके शिष्य गौतम बुध को भी ज्ञान प्राप्त हुआ था।


सिख धर्म के लोग दीपावली को पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं क्योंकि इसी दिन अमृतसर में 1576 में स्वर्ण मंदिर का शिलान्यास हुआ साथ ही सिखों के छठे गुरु हरगोविंद सिंह जी को इसी दिन जहांगीर ने जेल से रिहा किया।



दीपावली कब मनाई जाती है?



दीपावली का त्योहार कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की अमावस्या को मनाया जाता है यानी दशहरे से बिल्कुल 20 दिन के बाद दीपावली का त्योहार त्रयोदशी से शुरू होकर भाई दूज तक होता है यानी पूरे सप्ताह में ही दीपावली के त्यौहार की धूम होती है चारों तरफ खुशी का माहौल होता है इसके अलावा दीपावली का त्योहार वर्षा ऋतु के बाद और शीत ऋतु के पहले आता है जिस कारण मौसम में हल्की सी ठंड होती है और चारों तरफ का वातावरण भी काफी अनुकूल रहता है।



दीपावली की तैयारियां



दीपावली भारत का सबसे बड़ा त्यौहार है जिसको मनाने की शुरुआत दशहरे से ही शुरू हो जाती है लोग दशहरे के पश्चात अपने घरों और कार्यालयों की साफ सफाई में जुट जाते हैं वह अपने घरों की रंगाई पुताई करते हैं और नए-नए सजावट के सामान से घर को एकदम नए जैसा सजा देते हैं।


हिंदू धर्म में मान्यता है कि जहां पर स्वच्छता और साफ सफाई होती है वहां पर महालक्ष्मी देवी स्वयं प्रवेश करती है जिससे उस घर के सदस्य को आशीर्वाद मिलता है और घर में खुशहाली एवं सुख समृद्धि बढ़ती है।


दीपावली के दिन हर व्यक्ति के चेहरे पर एक अलग उमंग और खुशी होती है वह अपनी दुकान को सजाते हैं एवं बाजार से भगवान गणेश लक्ष्मी जी और सरस्वती जी की तस्वीर को खरीद कर अपने घर में मुहूर्त से विराजमान करते हैं,


दिवाली के त्योहार के समय बाजार में चहल पहल में काफी बढ़ जाती है लोग नए कपड़े गहने मिठाइयां पटाखे रंग बिरंगी लाइट दीपक आदि खरीदते हैं जिससे बाजार में काफी रौनक होती है और हर व्यक्ति दीपावली पर पैसे कमाता है जीने में लक्ष्मी पूजन के समय माता लक्ष्मी के चरणों में समर्पित करता है।


दीपावली के दिन रात्रि के समय सभी लोग अपने घर पर लक्ष्मी पूजन करते हैं जिसके पश्चात आसमान में आतिशबाजी का दौर शुरू हो जाता है साथ ही कई लोग बुरी आदतों को छोड़कर नई शुरुआत भी करते हैं इसके अलावा दीपावली को कई भारतीय नए साल के रूप में भी मानते हैं और लक्ष्मी पूजन के दौरान अपना नया खाता शुरू करते हैं।



दीपावली के साथ मनाए जाने वाले उत्सव



दीपावली का त्योहार 5 दिन तक होता है और हर दिन का विशेष महत्व होता है



दीपोत्सव का पहला दिन यानी धनतेरस



धनतेरस के दिन खरीदारी करना काफी शुभ माना जाता है खास तौर पर धनतेरस के दिन लोग बर्तन और सोने चांदी के आभूषण खरीदना काफी पसंद करते हैं और माना जाता है कि धनतेरस के दिन इनकी खरीदारी करने से घर में बरकत होती है।


दीपोत्सव का दूसरा दिन यानी नरक चतुर्दशी



दीपोत्सव का दूसरा दिन नरक चतुर्दशी या छोटी दीवाली के नाम से भी जाना जाता है इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था जिससे कई लोगों को नरकासुर के शोषण से मुक्ति मिली थी जिस कारण इस दिन को छोटी दीवाली के रूप में मनाया जाता है और हर घर के बाहर दीपक जलाए जाते हैं।



दीपोत्सव का तीसरा दिन यानी दीपावली



दीपावली का दिन दीपोत्सव का मुख्य दिन होता है इस दिन सुबह से ही लोग बाजार से खरीदारी करते हैं और अपने घर को रंगोली व अन्य सजावटी सामान से सजाते हैं और शाम के समय मुहूर्त के अनुसार महालक्ष्मी भगवान श्री गणेश विद्या की देवी सरस्वती की पूजा करते हैं और उन से यही कामना करते हैं की घर में खुशहाली और सुख समृद्धि बना रहे।

दीपोत्सव का चौथा दिन यानी गोवर्धन पूजा


हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने भगवान इंद्र की क्रोध के कारण की गई मूसलाधार वर्षा से लोगों को बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को एक अंगुली पर उठा लिया था इसके दिन महिलाएं घर के बाहर गाय के गोबर की पूजा करती है, इसके अलावा भारत के कई राज्यों में इस दिन नव वर्ष भी मनाया जाता है सभी जन एक दूसरे के घर जाकर दीपावली और नव वर्ष की शुभकामनाएं देते हैं छोटे बड़ों का आशीर्वाद लेकर इस दिन को मनाते हैं।



दीपोत्सव का पांचवा दिन यानी भाई दूज



दीपोत्सव का पांचवा दिन भाई दूज के त्योहार के रूप में मनाया जाता है इस दिन यमराज अपनी बहन यमुना के घर खाना खाने जाते हैं ठीक इसी प्रकार हर भाई अपनी बहन के घर जाता है जहां पर बहन अपने भाई को खाना खिला कर तिलक लगाकर रक्षा सूत्र बांधते हैं जिसके फलस्वरूप भाई अपनी बहन को रक्षा करने का वचन एवं उपहार भेंट करता है।


इसी प्रकार 5 दिन के दीपोत्सव के समाप्ति हो जाती है और सभी लोग त्योहार की समाप्ति के पश्चात अपने कार्य को करने लगते हैं।



दीपावली का महत्व



दीपावली साल का सबसे बड़ा त्यौहार होता है जिस कारण हर वर्ग के अंदर इस त्यौहार को लेकर उत्साह एवं खुशी होती है लेकिन हिंदू धर्म के अंदर दीपावली के त्यौहार को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि यह त्यौहार अधर्म पर धर्म और अंधकार पर रोशनी का प्रतीक है इसके अलावा इस त्यौहार का मानव जीवन में भी काफी महत्व होता है जिसे निम्न प्रकार जानते हैं।



दीपावली का सामाजिक महत्व



दीपावली के त्यौहार को भारत में रहने वाले लगभग हर वर्ग के लोग मिलजुल कर मनाते हैं और इस दिन अपने घर मंदिर के अंदर पूजा पाठ करते हैं उसके पश्चात एक दूसरे के घर जाकर उन्हें दीपावली की शुभकामनाएं देते हैं इससे सामाजिक सद्भाव काफी बढ़ता है आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग एक दूसरे से सिर्फ सोशल मीडिया पर मिलते हैं लेकिन दीपावली जैसे बड़े त्यौहार पर उन्हें एक दूसरे से मिलने का मौका मिलता है जिससे वे एक दूसरे के बारे में जानते हैं साथी कई अलग-अलग धर्म के लोग भी दीपावली के दिन मिलजुल कर त्योहारों की बधाई देते हैं इससे पूरे समाज के अंदर सामाजिक एकता और सद्भाव बढ़ता है इस प्रकार सामाजिक सद्भावना बढ़ाने के कारण दीपावली का सामाजिक महत्व भी काफी माना जाता है।



दीपावली का आध्यात्मिक महत्व



दीपावली के त्योहार को मनाने के पीछे अगर धार्मिक ऐतिहासिक और पौराणिक कारण देखे हैं तो कहीं ना कहीं आपको यह जरूर देखने को मिलेगा कि इस त्यौहार की मुख्य वजह बुराई पर अच्छाई की जीत ही है और जब भी यह त्यौहार आता है तो हर व्यक्ति के अंदर नई ऊर्जा खुशी और अध्यात्म के प्रति भावना जागृत हो जाती है।


दीपावली का त्यौहार हिंदू धर्म के अलावा जैन सिख और बौद्ध धर्म में भी मनाया जाता है इन सभी धर्मों में दीपावली का त्यौहार मनाने की वजह भी कहीं ना कहीं अंधकार पर प्रकाश की विजय हो या अज्ञान पर ज्ञान की विजय या फिर बुराई पर अच्छाई की विजय कोई ना कोई ऐसी घटना घटित हुई है जिस कारण दीपावली का त्यौहार पहले पूजा और पाठ के लिए जाना जाता है तो वही अच्छाई की बुराई पर जीत के लिए भी जाना जाता है इससे लोगों में आध्यात्मिकता के प्रति नए और अच्छे विचार उत्पन्न होते हैं एवं लोग अपने धर्म की तरफ अग्रसर होते हैं।



दीपावली का आर्थिक महत्व



भारत की अर्थव्यवस्था कृषि पर टिकी हुई है और दीपावली के पहले ही गर्मियों की फसल पककर तैयार होती है जिसे किसान काटने के पश्चात बाजारों में बेचता है और अपनी कमाई अर्जित करता है तो वे बाजार में जाता है वहां पर जमकर खरीदारी करता है हिंदू लोग दीपावली के समय नए कपड़े सोने चांदी के आभूषण बर्तन राशन का सामान एवं कई चीजों की खरीदारी करते हैं जिसे बाजार की आर्थिक स्थिति में भी तेजी आती है एवं यह त्यौहार गरीब से लेकर अमीर तक हर व्यक्ति को आय अर्जित करने का कोई ना कोई तरीका जरूर प्रदान करता है जिससे हर चेहरे पर मुस्कान देती है और हर घर की दिवाली भी खुशहाली से भरपूर होती है।


दीपावली से ठीक पहले कहीं ऑनलाइन कंपनियां भी डिस्काउंट के साथ अपनी सेल शुरू करती है क्योंकि पूरी दुनिया में प्रचलित है कि भारत में दिवाली के समय लोग पैसा खर्च करना काफी पसंद करते हैं ताकि उनका घर सबसे सुंदर दिखे एवं उनके घर में किसी भी वस्तु की कमी ना रहे लेकिन इस निबंध को पढ़ने वाले हर व्यक्ति से यह अनुरोध है की ऑनलाइन की बजाए अपने पास वाले दुकानदार से सामान खरीदें अपने कुंभकार भाई से दीपक खरीदें तभी हर किसी की दिवाली काफी अच्छी होगी।



दीपावली में पटाखों का महत्व



दिवाली रोशनी और आतिशबाजी का त्यौहार है लोग दीपक जलाकर घरों को सजाते हैं जिससे चारों तरफ रोशनी हो जाती है जिसे देखकर हर कोई मंत्र मुक्त रह जाता है इसी प्रकार पटाखे भी आसमान में रंग बिरंगी रोशनी फैलाते हैं तो फुलझड़ी है छोटे बच्चों की मुस्कान लेकर आती है इसलिए बिना पटाखों के दीपावली अधूरी है।


इस दिवाली आप ग्रीन पटाखे भी छोड़ सकते हैं जो पर्यावरण को भी नुकसान नहीं पहुंचाते हैं साथ ही उनसे आपको भी सुरक्षा मिलती है इसके अलावा ग्रीन पटाखों से पर्यावरण में प्रदूषण नहीं फैलता जिससे सांस लेने में आसानी होती है एवं कई बीमारियों से भी राहत मिलती है हालांकि कई राज्यों में पटाखे छोड़ना बैन है लेकिन उसमें भी आपको कुछ ना कुछ समय जरूर मिलेगा जिसमें आप पटाखे फोड़ सकते हैं और अपना मनोरंजन कर सकते हैं।



दीपावली त्यौहार के फायदे और नुकसान 



दीपावली का त्यौहार भारत का सबसे बड़ा त्यौहार है जिससे लोगों काफी फायदा है तो वहीं कुछ न कुछ नुकसान भी जरूर होता है ख़ुशी और हर्षोउल्लास वाले इस त्यौहार में सावधानी रखने से आपका दर्द भी खुशी में तब्दील हो सकता है दीपावली से होने वाले फायदे और नुकसान निम्न प्रकार है। 


दीपावली के त्यौहार से होने वाले नुकसान 


  • छोटे से बड़े तक हर प्रकार व्यापारी हो या कारीगर उसे दिवाली के दौरान साल में सबसे ज्यादा कमाई होती है। 

  • दीपावली के समय सभी लोग कपड़े,आभूषण,मिठाई और सजावट के सामान खरीदने के लिए काफी पैसे खर्च करते है जिससे सभी व्यापार में भी तेजी आती है। 

  • दीपावली के त्यौहार सभी लोग एक दूसरे मिलते है जिससे प्रेम और संबंधो में मिठास भी बढ़ती है। 

  • दीपावली के त्यौहार से पहले घर दुकान आदि सभी जगह पर साफ सफाई की जाती है जिससे वातावरण भी स्वच्छ और सुंदर रहता है जो हर व्यक्ति के स्वास्थय के लिए फायदेमंद है। 

  • दीपावली का त्यौहार छोटे कुटीर उद्योग वाले कुम्भकारों और सजावट के सामान तैयार करने वालों के लिए भी काफी अच्छा होता है। 


दीपावली के त्यौहार से होने वाले फायदे 


  • दीपावली में फोड़े जाने वाले पटाखों से प्रदूषण होता है। 

  • दीपावली के त्यौहार मिठाईया और तली हुई चीजें खाने से स्वास्थ्य खराब होता है 

  • दिखावा करने से जरूरत से ज्यादा फिजूल खर्च होता है। 

  • दीपक में जलने वाला तेल और रंग बिरंगी लाइट लगाने से बर्बाद होने वाली बिजली नुकसान की श्रेणी में नहीं है क्योंकि दिवाली मे दीये और लाइट की रौशनी नहीं होगी तो उसे दिवाली कैसे कहेंगे। 



उपसंहार 



दीपावली हिन्दू धर्म का सबसे बड़ा पर्व है जो पूरे भारतवर्ष में मनाया जाता है सभी लोग अपने घर और दुकान पर दीये एवं रंग बिरंगी लाइट लगाकर सजावट करते है एवं स्वच्छ रखते है,दीपावली के समय बाजार में भी चहल पहल काफी होती है जिससे पूरा वातावरण भी खुशनुमा हो जाता है इसके अलावा बाजार में सभी दुकानें मिठाइयों,पटाखों,सजावटी सामान और रंग बिरंगी लाइट से सजी हुई होती है जहाँ से लोग मिठाईया,पकवान खरीदते है तो वहीं छोटे बच्चे पटाखें खरीदकर जमकर आतिशबाजी करते है। 


दीपावली त्यौहार के पांच दिन हँसी ख़ुशी और मस्ती में कब निकल जाते है पता ही नहीं चलता लेकिन बाद उन दिनों की याद भी काफी आती है लेकिन दिवाली का त्यौहार हमें यह प्रेरणा देता है एक दीपक की लौ पूरे अंधकार को समाप्त कर देती है इसी प्रकार हमें इसी प्रकार हमें भी अपने जीवन में खुश रहना चाहिए और मुश्किल से मुश्किल परिस्थिति में हार नहीं माननी चाहिए। 


दीपावली का त्यौहार सामाजिक एकता और सद्भाव का प्रतीक है जिसे सभी वर्ग के लोग मिल जुलकर मनाते है जिससे देश की प्रगति भी होती है। 


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