नमस्कार दोस्तों आप सभी को मेरी तरफ से गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाऍ। दोस्तों हर वर्ष 26 जनवरी को हम गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते है इसी दिन वर्ष 1950 में भारत का सविंधान लागु हुआ था और भारत एक लोकतांत्रिक देश बना था। गणतंत्र दिवस को सभी भारतीयों द्वारा हर्षोल्लास के साथ मनाया , इस दिन राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मनाया जाता है। भारत में तीन राष्ट्रीय अवकाश मनाएं जाते है जिसमें गाँधी जयंती , स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस शामिल है।
इस दिन पूरे भारत में सभी राजकीय कार्यालय बंद रहते है और स्कूल व कॉलेज में कार्यक्रम होते है और राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा लहराया जाता है। भारत में गणतंत्र दिवस का प्रमुख कार्यक्रम लाल किल्ला नईदिल्ली में होता है जहाँ पर भारत के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति तिरंगा लहराते है और इस समय दूसरे देश से कई विशिस्ट अतिथियों को भी बुलाया जाता है।
गणतंत्र दिवस हिंदी शायरी - Republic Day Shayari Hindi 2022
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गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाऍ
आजादी की कभी शाम ना होने देंगे ,
शहीदो की कुर्बानी बदनाम ना होने देंगे ,
बची है जो एक बूंद लहू की तब तक ,
भारत माँ का आँचल नीलाम ना होने देंगे।
तीन रंग का वस्त्र नहीं,
यह ध्वज देश की शान है,
हर भारतीय के दिल का यहीं स्वाभिमान है,
यहीं गंगा,यही हिमालय,यहीं हिन्द की शान है,
तीन रंग में रंगा हुआ यह हमारा हिंदुस्तान है ||
लबों पर हँसी और आँखे नम रखते है,
तूफानों का रुख जो मोड़ ऐसा दम रखते है,
ए दुनियाँ वालों ना परखों हमारी बहादुरी को,
हम तो वो शोला है,
जो साँसो में बारूद और जिगर में दम रखते है ||
क्यों मानते हो खुदको दूसरों से अलग,
क्या स्कूल कॉलेजों में यहीं सिखाया जाता है,
अगर याद ना हो तो याद करके देख लो,
यहाँ की सीमा पार करते ही हमें,
किसी जात से नहीं Only इंडियन बुलाया जाता है ||
वह महफूज रहते त्यौहार में,
जो सरहद पर गोली झेलते है,
जरा उन्हें भी याद करों,
जो खून से होली खेलते है ||
इस वतन के रखवाले है हम,
शेर ए जिगर वाले है हम,
मौत से हम नहीं डरते,
मौत को बाहों में पाले है हम ||
बातें मोहब्बत की हो,
तो हर कोई कर गुजरता है।
पर सच्चा आशिक तो वह है,
जो वतन पर मरता है ||
क्या चलेगी जुल्म के अहले वफ़ा के सामने,
झुक नहीं सकता कोई शोला हवा के सामने ||
खून से खेलेंगे होली अगर वतन मुश्किल में है,
सरफरोसी की तमन्ना अब हमारे दिल में है ||
लड़े वो वीर जवानों की तरह,
ठंडा खून फौलाद हुआ।
मरते मरते भी मार गिराए,
तभी तो देश आजाद हुआ ||
मै भारत वर्ष का अमिट सम्मान करता हूँ,
यहाँ की मिट्टी का गुणगान करता हूँ।
मूझे चिंता नहीं है स्वर्ग जाकर मोक्ष पाने की,
तिरंगा तो कफ़न मेरा बस यहीं अरमान रखता हूँ ||
सीने पर गोली खा,
हस्ते - हस्ते मरने वाले,
तुझे प्रणाम कारगिल लड़ने वाले ||
जो धर्म पे मर मिटा,
बस वहीं महान है।
कारगिल का हर जवान,
देवता समान है ||
किसी गजरे की खुशबू को,
महकता छोड़ आया हूँ।
मेरी नन्हीं से चिड़ियाँ को,
चहकता छोड़ आया हूँ।
मुझे अपनी छाती से बस तू,
लगा लेना ए भारत माँ।
मै अपनी माँ की बाहों को,
तरसता छोड़ आया हूँ ||
जो पूरी रात जागता है,
जरूरी नहीं वो सिर्फ ही आशिक ही हो।
वो देश पर मर मिटने वाला
जवान भी हो सकता है ||
दे सलामी इस तिरंगे को,
जिससे तेरी शान है।
सर हमेशा ऊँचा रखना इसका,
जब तक दिल में जान है।
मरने के बाद भी जिसके नाम में जान है,
ऐसे जाबाज सैनिक
भारत की शान है ||
वतन हमारा ऐसे ना छोड़ पाए कोई ,
रिश्ता हमारा ऐसे ना तोड़ पाए कोई ,
दिल हमारा एक है , एक है हमारी जान,
हिंदुस्तान हमारा है हम है इसकी शान।
आओ झुक कर सलाम करें उनको ,
जिनके हिस्से में ये मुकाम आता है ,
खुश नसीब होता है वो खून ,
जो देश के काम आता है।
सच्ची मोहब्बत ही करनी है तो वतन से करो यारों ,
मर भी गए तो शहीदो में तुम्हारा नाम शरीक होगा ,
महबूब के लिए तो लाखों मर सकते है इस दुनियाँ में ,
सोचो भारत माँ के लिए मरने वाला कितना खुशनसीब होगा।
26 जनवरी कैलेंडर पर दस्तक देगा ,
हर चौराहे तुम्हें तिरंगा ही दिखेगा ,
तब हर तिनका , हर झुमका , हर ठुमका तुम्हें यही कहेगा ,
सारे जहाँ से अच्छा हमारा हिंदुस्तान ही रहेगा।
जून की मरुस्थल रेगिस्तानों को ठंडी बतलाऊंगा
सियाचिन की ठंडी हवाओं को मै , चाय में पी जाऊँगा ,
दफन होकर 13 दिन तक ओलों में ,
मै जिंदा लौटकर आऊँगा ,
मै भारत का हूँ वीर सिपाही,
दुश्मन की छाती पर अपना तिरंगा लहराऊँगा।
मातृभूमि की लाज के खातिर सर्वश अपना लुटाऊंगा ,
और गर्व हो माँ को कोख पर अपनी , मै ऐसा बेटा बन जाऊँगा ,
इस माटी में जन्म लिया है , इस माटी में मिल जाऊंगा।
दर्द होता है हमेशा मगर ईमान नहीं होता,
अगर मेरी शायरी में हिंदुस्तान नहीं होता,
महज बातों महज वादों की दुकाने होती ,
अगर इस बाजार में संविधान नहीं होता।
तारीफें तेरी फैली हुई है हर जगह आसमान में,
औकात क्या है मेरी जो लिखुँ तेरे सम्मान में,
और जहाँ की मिटटी को भी चूमा जाता हो ,
हाँ छाती ठोक के कहता हूँ रहता हूँ हिंदुस्तान में।
विकसित होता राष्ट्र हमारा,
रंग लाती हर कुर्बानी है,
फक्र से अपना परिचय देते ,
हम सारे हिंदुस्तानी है।
क्यों मरते हो यारों सनम के लिए,
ना देगी दुपट्टा कफन के लिए ,
मरना है तो मरो वतन के लिए ,
तिरंगा भी नसीब होगा कफ़न के लिए।
ना दूध दूँगा,
ना खीर दूँगा,
कश्मीर की तरफ देखेगा ,
तो चीर दूंगा।
अब तक जिसका खून नहीं खोला ,
खून नहीं वो पानी है ,
जो देश के काम ना आये
ओ बेकार की जवानी है।
ना सरकार मेरी है , ना रॉब मेरा है।
ना बड़ा सा नाम मेरा है ,
मुझे तो एक छोटी सी बात का गर्व है ,
मै हिंदुस्तान का हूँ और यह हिंदुस्तान मेरा है।
तिरंगा लहराएंगे,
भक्ति गीत गुन - गुनायेंगे,
वादा करो इस देश को ,
दुनियाँ का सबसे प्यारा देश बनाएंगे।
देश भक्तों से ही देश की शान है ,
देश भक्तों से ही देश का मान है ,
हम उस देश के फूल है ,
जिस देश का नाम हिंदुस्तान है।
इसी दिन के लिए वीरों ने अपना खून बहाया है ,
झूम उठो देशवासियों रिपब्लिक डे फिर से आया है।
जमाने भर में मिलते है आशिक बहुत ,
मगर वतन से खूबसूरत कोई सनम नहीं होता।
दे सलामी इस तिरंगे को जिससे तेरी शान है ,
सिर हमेशा ऊँचा रखना जब दिल में जान है।
कभी सनम को छोड़कर देख लेना ,
कभी शहीदो को याद करके देख लेना।
कोई महबूब नहीं है वतन जैसा यारों
मेरी तरह कभी वतन से मोहब्बत करके देख लेना।
कुछ नशा तिरंगे की आन का है ,
कुछ नशा मातृभूमि की शान का है ,
हम लहरायेंगे हर जगह तिरंगा ,
नशा यह हिंदुस्तान के सम्मान का है।
ना जियो धर्म के नाम पर ,
ना मरो धर्म के नाम पर ,
इंसानियत ही है धर्म वतन का ,
बस जियो वतन के नाम पर।
आन देश की , शान देश की ,
देश की हम संतान है।
तीन रंगो से रंगा तिरंगा ,
अपनी यही पहचान है।
नफरत बुरी न पालो इसे ,
दिलों में ख्वाहिश है निकालो इसे ,
ना तेरा , ना मेरा
ना इसका , ना उसका
ये सबका वतन है , संभालो इसे।
आजादी का कभी शाम नहीं होने देंगे ,
शहीदों की कुर्बानी बदनाम नहीं होने देंगे ,
जब तक है शरीर में लहू का एक - एक कतरा ,
भारत माता का आँचल निलाम नहीं होने देंगे।
फना होने की इजाजत ली नहीं जाती ,
ये वतन की मोहब्बत है जनाब पूछ के की नहीं जाती।
खाली पेट वाले झंडे बेच रहे है ,
और भरे पेट वाले मुल्क।
याद रखेंगे वीरों तुमको हरदम ,
यह बलिदान तुम्हारा है ,
हमको तो जान से प्यारा है ,
यह गणतंत्र हमारा है।
अपना घर छोड़कर ,
सरहद को अपना ठिकाना बना लिया ,
जान हथेली पर रखकर ,
देश की हिफाजत को अपना धर्म बना लिया।
हर वक्त मेरी आँखों में धरती का स्वप्न हो ,
जब कभी मरु तो तिरंगा मेरा कफ़न हो।
और कोई ख्वाहिश नहीं जिंदगी में ,
जब कभी जनमु तो भारत मेरा वतन हो।
निष्कर्ष
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